Fall of Rites.

संस्कारो का पतन
संस्कार का अर्थ है शुद्धिकरण यानी हमारे आचार विचारो का शुद्धिकरण ।संस्कार हमें हमारे माता पिता परिवार समाज से मिलते है संस्कार ही है जो हमे कई पीढ़ियों से जोड़े रखता है संस्कार हमे ये बताते है कि हमारे पूर्वज किस तरह के रहन सहन में रहते थे और उनकी परवरिश किस माहौल में हुई ये हमे पीढ़ी दर पीढ़ी मिलते है लेकिन आज के इस पाश्चात्य संस्कृति के दौर में हमारे संस्कारो का पतन हो रहा है
आज के इस दौर में युवाओं को न छोटे बड़ो का लिहाज है और नही किसी प्रकार की कोई शर्म। पहले बहु सास से लिहाज रखती थी बहुए घर का गहना होती थी लेकिन आज देखा जाता है कि बहुएँ खुलेआम शादियों में लोगो के सामने dj पर उटपटांग डांस करती है, लडकिया छोटे छोटे कपड़े पहनती है और लड़के भी उटपटांग स्टाइल अपनाते रहते है।

संस्कारो के पतन के कारण

संस्कारो के पतन का श्रेय अगर किसीको जाता है तो वो है हमारा फिल्मी जगत। पहले की फिल्मों में व अब की फिल्मों में इतना बदलाव आया कि आज युवाओ में संस्कार नाम की कोई चीज ही नही बची । फिल्मो में दिखाया जाता है कि एक बेटा अपने पिता से बतदमीजी से बात करता है,एक बहु अपनी सांस के सामने आधे कपड़ो में रहती है,एक लड़का लड़की प्यार करते है परिवार वाले नही मानते तो घर से भाग जाते है, लड़के के चाहने पर लड़की नही मानती तो उसका बलात्कार करके मार देना ,जुआ खेलना, इसके अलावा छोटी छोटी उम्र में नशा करना ये आदि हमें फिल्मी जगत से सीखने को मिला है इसके अलावा पहले हमारे पूर्वज सब एक ही छत के नीचे रहते थे जिससे संस्कारो की कमी नही होती थी लेकिन आज सब सयुक्त परिवार के साथ न रहकर एकल परिवार में रह रहे है जिससे गलत सही का हमें ध्यान ही नही रहता।
उपाय
हिन्दू धर्म मे संस्कारो का विशेष महत्व है इनका उद्देश्य है शरीर, मन,मस्तिष्क की शुद्धि करना जिससे मनुष्य अपने समाज मे आदर्श भूमिका निभा सकें। पहले बच्चे अपने दादा दादी,नाना नानी से ऐसी कहानियां सुनते थे जो संस्कारो से भरपूर थी। बड़े छोटे को महाभारत रामायण आदि सुनाते थे उन्हें सत्संग में लेके जाते राम नाम के बारे में बताते भगवान की कथा सुनाते जिससे उनमे संस्कार बने रहते। लेकिन ऐसी हवा चली की इंसान से अच्छाइयां समाप्त हो गई और बुराई तो इतनी आ गई कि देखी नही जाती। पर इसी के बीच संस्कारो व हिन्दू संस्कृति को बचाने के लिए एक संत सामने आए जिन्होंने सभी प्रकार की बुराई का त्याग करके एक नेक नीति की राह पर चलने को कहा वो संत है संत रामपाल जी महाराज जिहोंने अपने से दीक्षा लेने वाले अनुयायियों से नशा,चोरी, रिश्वतखोरी, ठगी ,मांस खाना ,व्यभिचारी,हत्या करना,धोखाधड़ी आदि बुराइयों को त्याग कर सच्चे भगवान की भक्ति करने पर बल दिया। आज उनके इस नियम को लाखों लोग फॉलो कर रहे है और बुराई को बिल्कुल ही त्याग दिया है। उनके विचारों से लोग इतने प्रभावित है कि उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ती जा रही है उनके सत्संग के tv चैंनल पर आते है
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